इस्लामी केलेंडर


17 जुल॰ 2015

अलविदा ऐ माहे रमजान

अब वक़्त-ए-जुदाई है मुझे अलविदा कह दो।
अब जाने का वक़्त है मुझे अलविदा कह दो।
मैं बख्शिश का जरिया था तुम्हारे लिए।
दिल रो रहा है मगर अब अलविदा कह दो।
तुम्हें अफ़सोस तो होंगा मेरे जाने पर।
आऊंगा लौट के फिर अब अलविदा कह दो।
तुम्हारे लिए रेहमत की वजह,
तुम्हारी बख्शिश का सबब।

करलो खुदा को राज़ी तो मुझे अब अलविदा कहे दो।
मेने तुम्हे चलना सिखा दिया।
मंज़िलों का पता बता दिया।

में न चल सकूँगा तुम्हारे साथ अब अलविदा कह दो।

अलविदा अलविदा ऐ" माहे रमजान" अलविदा।
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