इस्लामी केलेंडर


16 जुल॰ 2015

रमज़ानुल मुबारक की 29 तारीख़


रमज़ानुल मुबारक की 29 तारीख़ थी।

ईमाम हसन(رضي الله عنه ) की उम्र मुबारक 5 साल और ईमाम हुसैन (رضي الله عنه ) की उम्र 4 साल 2 माह की थी।

सय्यदा फातिमा चक्की पीस कर फारिग़ होती हैं।
आप ने जा-नमाज़ बिछाया और इरादा किया कि नमाज़ पढ़ लूँ..
कि तभी हज़रत इमाम हसन और हुसैन (رضي الله عنهم  )दौड़ते हुए आये और जा-नमाज़ पर लेट गये ।
सय्यदा ने उठने को कहा तो दोनों शहज़ादे मचल गये और कहने लगे - अम्मीजान !
सुबह ईद हो जाएगी।
ईद के रोज़ सब नये नये कपड़े पहनेंगे हमें भी नए कपड़े मंगवा के दे दीजिए।
सय्यदा फातिमा का दिल हिल गया।
आप ने बच्चों को सीने से लगाकर कहा -
मेरे चाँद !
मुझे नमाज़ पढ़ लेने दो।
कल तुम्हें नये कपड़े मंगवाकर दूंगी।
अम्मी !
कल तो ईद है !
कपड़े अगर आये तो सिलेंगे कैसे..?
हज़रत हसन (رضي الله عنه ) ने पूछा।
आप ने फरमाया फिक्र न करो बेटा ।
दरज़ी तुम्हारे लिए सिले सिलाए कपड़े लाएगा।
और फिर सय्यदा फातिमा ने नमाज़ पड़ना शुरू कर दी।
नमाज़ के बाद बारगाहे ख़ुदावन्दी में हाथ उठा दिये।
बारी तआला ! तू सब कुछ जानता है।
तेरी इस बन्दी ने सिर्फ इस लिए बच्चों से कपड़ो का वादा कर लिया कि उन का दिल न टूटे। मेरे ख़ुदा !
तू ख़ूब जानता है कि फातिमा ने कभी झूट नही बोला।
या अल्लाह ! मेरे उठे हुए हाथों की लाज रखना।
मैने तेरी रहमत के सहारे पर बच्चों से नए कपड़ों का वादा कर लिया है।
मेरे वादे की लाज रखना मौला।
इफ्तारी का वक़्त हो गया।
ईद का चाँद नज़र आ गया।
मदीना मुनव्वरा में मुनादी हो रही थी।
बच्चे अभी से ईद की तैयारी कर रहेथे।
रात को सोते वक़्त फातिमा के शहज़ादों ने फिर
अपना वादा अम्मी को याद दिला दिया।
फज्र की अज़ान हुई।
सय्यदा फातिमा ने नमाज़ अदा की।
अभी दुआ के लिए हाथ उठाये ही थे ,
कि दरवाज़े पे दस्तक हुई।
आप ने पूछे कौन है ?
आवाज़ आई - बिन्ते रसूल ! आपका दर्ज़ी हूँ ,
शहज़ादों के कपड़े लाया हूँ।
आप ने ग़ैबी मदद समझ कर कपड़े ले लिए।
हसन और हुसैन (رضي الله عنهم  ) को कपड़े पहना दिये।
दोनों खुश होते हुए मस्जिद ए नबवी में नाना जान को कपड़े दिखाने गये।
रसूले खुदा ﷺ मस्जिद ए नबवी के कच्चे फर्श पर लेटे हुए थे।
आप ﷺ ने दोनों शहज़ादो को देखा तो बहुत ख़ुश हुए।
फिर आप ﷺ बेटी के घर तशरीफ लाए
और मुस्कुराते हुए पूछा - बेटी यह कपड़े कहाँ से आये हैं ?
आपने अर्ज़ किया - अब्बाजान
एक दरज़ी दे गया है।
आप ﷺ ने फरमाया बेटी जानती हो वो दरज़ी कौन था ?
सय्यदा फातिमा ने कहा अल्लाह और उसका रसूल बेहतर जानतें हैं।
सरकारे दो आलम ﷺ ने फरमाया -बेटी आपका दरज़ी बन कर आने वाले जिब्राईल थे।
और यह जोड़े वह अल्लाह के हुक्म से जन्नत से लाए थे।
हज़रत फातिमा (رضي الله عنهأ  ) ने ख़ुदा का शुक्र अदा किया।
उधर हज़रत अली के नन्हे नन्हे शहज़ादे खुशी से हुज़ूर ﷺ की चादर को सर पर रख कर आप से बार बार लिपट रहे थे... !!

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