इस्लामी केलेंडर


31 मार्च 2015

१२ माह की तक्विम (अवकाते नमाज़) / Barah Maah Ki Taqweem. (Avkaate Namaaz )

-: एक बार इसे ज़रूर पढलें :- (१)
यह अजान का वक़्त "सुन्नी अशरफी दाएमी  तक्विम" से छोटाउदेपुर (जिला-बडौदा,गुजरात) व आस-पास के इलाकों के लिए तरतीब किया गया है.इसकी खूबी यह है की यह तक्विम हमेशा काम देगी. 
(२) छोटाउदेपुर  से पश्चिम  यानि काबा शरीफ की तरफ हर 25 किलोमीटर पर 1 मिनट बढ़ाएं. और पूर्व की तरफ  हर 25 किलोमीटर पर 1 मिनट घटायें.
(३) उमुमन फज़र में अजान के आधे घंटे के बाद जमाअत होती है, और बाकी नमाज़ की जमाअत अजान के पंद्रह मिनट के बाद होती है,और जूमआ की जमाअत खुत्बे के बाद होती है,इसलिए यहाँ जमाअत का वक़्त दर्ज नहीं किया गया. (४)
जोहर की अजान का वक़्त हमारे यहाँ उमुमन 1 :30 ही रखा जाता है,और यह दुरुस्त भी है,इसलिए इस नमाज़ का वक़्त भी यहाँ दर्ज नहीं किया.
(५)
नमाज़ों का वक़्त घटाने में जल्दबाज़ी  न करें,और बढ़ाने में देरी न करें,ताकि वक्तों की फ़ज़ीलत मिल सके.(ब हवाला :- बहारे शरियत)
(६) ईशा का वक्त यहाँ हर ५ मिनट में धटाया - बढाया है,मगर एक साथ १५ मिनट घटाने - बढ़ाने में भी हर्ज नहीं.मगर यह याद रखें की मगरिब व ईशा के बिच गर्मियों में 1   घंटा 40 मिनट,और शर्दियों में 1 धंटा 30 मिनट का फांसला ज़रूर रखें.(बहारे शरियत)इस से कम फांसला न रखें.ज्यादा हो तो हर्ज नहीं. (७)
फज़र में बताये गए वक़्त से ५ मिनट पीछे भी चल सकते हैं,मगर मेहतर यही है जो लिखा है.
(८)
माहे रमजान शरीफ में इफ्तार का वक़्त बताया हुआ ही लिखें,मगर अज़ान का वक़्त ३ मिनट बढादें.ताकि घर से इफ्तार करके आनेवाले हजरात जमाअत में शामिल हों सके.(और वैसे भी अज़ान के वक़्त बातें करना मना है क्यूंकि इस से मरते वक़्त कल्मा शरीफ याद न आने का खतरा है.)इसलिए पहले रोज़ा इफ्तार हो जाये फिर अज़ान हों तो यह सबसे बेहतर है (फैजाने सुन्नत) इफ्तार के वक़्त दूआ कुबूल होती है, तो उस वक़्त सब इस्लामी भाई अपने अहलो - अयाल व तमाम मोअमिनिन के लिए दूआ ज़रूर मांगे.फिर जब वक्ते इफ्तार हों तो तिन मर्तबा यूँ एलान करें "रोज़ दारों ! इफ्तार का वक़्त हो चूका है,रोज़ा खोल लीजिये."
(९) जबभी नमाज़ का वक़्त घटाने  या फिर बढ़ाने का मौका आये,तो एक दिन पहले ही उसी नमाज़ में (जिसका वक़्त घटाना या बढ़ाना है) इस तरह एलान करदें की "कल से  फलां  नमाज़ की जमा अत इंशाअल्लाह तआला फलां बजे होगी." (मान लीजिये की फज़र की नमाज़े जमाअत का वक़्त  6   बजकर  20   मिनट करना है,तो एक दिन पहले ही नमाज़े फज़र में सलाम फेरने बाद यूँ एलान करदें.
" कल से फज़र की जमाअत इंशा अल्लाह तआला छे बजकर बीस मिनट पर होगी. "
(१०) इस तक्वीम को नाचीज़ मौलाना याकूब रज़ा A. अशरफी ने तमाम मोमिन मर्हुमिन के इसाले सवाब के लिए तरतीब किया है.अगर आपको इसमें कोई गलती मालूम हो तो बराए करम इस नंबर  पर फोन   करें. +91 9913696247 . ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
(नोट:-बेहतर रिज़ल्ट देखने के लिए या फिर प्रिन्ट करने के लिए जिस माह का वक़्त देखना है उसपर क्लिक करें.) ...........................................................................................  
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